Opinion by प्रदीप कुमार | Opined

#indiaउस दौर में ऐसे जाया करते थे नानी के घर।
ऊपर की ओर लकड़ी वाली सीट और हवा की एक आस।
चित्रकार की चित्रकारी का जवाब नहीं

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